मामला प्रदेश की साढ़े छह करोड़ जनता से जुड़ा है
नितिन शर्मा
मंत्रीजी, किराया तो आपने बढ़ा दिया लेकिन उन मुसाफिरों का क्या जिन्हें बीते पांच साल से आपने प्राईवेट बस वालों के हवाले कर रखा है? आपने उनकी चिंता की जिनका सफर इस प्रदेश में रामभरोसे चल रहा है? उनके साथ होने वाले दुव्र्यवहार के विषय में इन बस वालों से 'दो-टप्पीÓ बात की? पलभर में ही आपने उस परिवहन लॉबी के सामने घूटने टेक दिए जिसने पहले तो प्रदेश से जनता के सफर की सुविधा रोडवेज को छिनवाया और परदे के पीछे जिसका मंत्री-विधायक और सांसद संरक्षण कर रहे हैं। क्या इसलिए ही आपने एक ही झटके में दो-चार-छह नहीं, 20 फीसदी किरायें में इजाफा कर दिया?
पेट्रोल-डीजल में लगी आग के बाद किराया बढ़ाने से कोई आपत्ति नहीं लेकिन मंत्री महोदय, एक बार भी आपने इन बस वालों से यह कहां कि अब आप हमारे मुसाफिरों को जरा ढंग से लाना-ले जाना..उनकों सीट देना बैठने के लिए, केबिन का बोनट नहीं। लंबी दूरी वाले को ही नहीं...छोटे सफर वाले को भी बैठने की जगह देना। सीट के बीच इतना अंतर तो रखना की घूटने ढंग से मुड़ जाए और सामने की सीट से नहीं टकराए। क्या यह चेतावनी दी कि बीच के खाली रास्ते पर खड़े रहने वालों की एक ही नहीं, दो-दो कतारें नहीं लगाओंगे और न भेड़-बकरियों से जैसे यात्री ठूसोगे?
क्या मंत्रीजी आपने इनकों ताकीद करी कि वे स्वतंत्रता संग्र्राम सेनानियों को पूरे सम्मान के साथ लाए-ले जाए ना कि उनका हाथ पकड़कर यह कहते हुए नीचे उतार दे कि यह सुविधा रोडवेज में मिलती होगी, यहां नहीं। उन पुलिस वालों के बारे में तो बात करी ही होगी जो वारंटियों को पहले रोडवेज की बस में पूरी सुरक्षा के साथ ले जाते थे लेकिन अब बस वाले यह कहते हुए चढऩे नहीं देते कि तुम्हारा किराया किससे वसूलेंगे? डेली अप-डाऊनर के लिए मासिक पास की बात की क्या? विकलांग-दृष्टिहीनों को मिलने वाली सुविधा बाले-बाले ही छीनने पर सवाल क्यों नहीं खड़ा किया? इनसे यह वादा लिया कि वे शादी ब्याह के सीजन में मुसाफिर ढोने की जगह बारातें नहीं ले जाएंगे? क्या इन लोगों ने यह भरोसा दिया कि वार-त्यौहार पर तय किराया से ज्यादा नहीं वसूलेंगे?
आपने यह सब नहीं किया। हमे पता था कि आप इतनी हिम्मत इस लॉबी के सामने नहीं जुटा पाएंगे। अगर हिम्मत होती तो तो रोडवेज की तालाबंदी को लेकर सारी हदें पार नहीं करते। क्यों मुठ्ठीभर बचे कर्मचारियों को सीआरएस के नाम पर जबरिया घर बैठाया जा रहा है? किस प्रांत में सरकारी सफर की सुविधा बंद की गई? ऐसा इसी प्रदेश में क्यों? क्या मुख्यमंत्री बताएंगे कि वे किसके दबाव में जनता की सस्ते सफर की सुविधा (रोडवेज) छीनने को जमीन-आसमान एक कर रहे है? क यह बताएंगे कि रोडवेज की प्रदेशभर में फैली बेशकीमती मिल्कियत पर किसकी-किसकी नजर है? फिर इसकी जगह जो नई परिवहन नीति आप ला रहे थे, वह कहां है? कितने साल लगते है आखिर प्रदेश की परिवहन नीति बनाने में? बीती सरकार के मंत्री हिम्मत कोठारी यहीं कहते-कहते बिदा हो गए और अब बीते डेढ़ साल से यहीं काम जगदीश देवड़ा कर रहे हैैं? यानी पूरे साढ़े छह साल..। इस नीति के जरिये प्रदेश की जनता देखना चाहती कि उसके सफर की सरकार ने कैसी चिंता करी। क्या कोई बताएंगा कि कब आएंगी यह नीति?